[00:00.89] |
Ma gli uomini non si accorsero di nulla(けれど 人々(ひとびと)は何一(なにひと)つ 気付(きづ)くことなく) |
[00:22.97] |
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[00:58.73] |
暗(くら)い空(そら)を裂(さ)いた 三日月(みかつき)は白(しろ)く |
[01:08.39] |
そっと枝(えだ)を飾(かざ)り 暗(くら)い森(もり)照(て)らした |
[01:17.75] |
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[01:18.07] |
赤(あか)い 果実(かじつ)齧(かじ)り 見渡(みわた)した街(まち)は |
[01:27.81] |
誰(だれ)も訪(おとず)れない 朽(く)ち果(は)てた王国(おうこく) |
[01:37.96] |
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[01:38.97] |
目(め)を閉(と)じて心(こころ)深(ふか)く 聴(き)こえだす痛(いた)みたち ざわめく |
[01:57.96] |
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[01:58.13] |
――――共鳴(キョウメイ)シテ 環(ワ)ヲ描(カ)イテ 想(オモ)イ アフレ ハジケル |
[02:02.07] |
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[02:02.29] |
哀(かな)しみに囚(とら)われ 苦(くる)しみに縛(しば)られ |
[02:07.06] |
永久(とわ)の 夜(よる)を 彷徨(さまよ)うの |
[02:11.99] |
砕(くだ)け散(ち)った世界(せかい) 静寂(しじま)に零(こぼ)れ落(お)ち |
[02:16.85] |
蒼(あお)い 炎(ほのお) 咲(さ)かせ 誘(いざな)うよ |
[02:23.89] |
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[02:24.15] |
滅(ほろ)びの 記憶(きおく)が 私(わたし)に 木霊(こだま)する |
[02:27.14] |
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[02:27.53] |
Gli avvertimenti per gli uomini si susseguirono:(警告(けいこく)は次々(つぎつぎ)と 扉(とびら)を叩(たた)いた) |
[02:31.64] |
Gli uccelli caddero dal ceilo(鳥(とり)は空(そら)から落(お)ちてゆき) |
[02:36.42] |
Gli alberi seccarono uno dopo l'altro(木々(きぎ)は 次々(つぎつぎ)に枯(か)れて) |
[02:38.84] |
Gli animali scomparvero dalla foresta(獣(けだもの)は 森(もり)から消(き)えていった) |
[02:41.11] |
Ma gli uomini non si accorsero di nulla(けれど 人々(ひとびと)は何一(なにひと)つ 気付(きづ)くことなく) |
[02:44.30] |
瑠璃(るり)に染(そ)まる 蔦草(つるくさ)は長(なが)く |
[02:53.00] |
欠(か)けた天窓(てんまど)へと 絡(から)み合(あ)い伸(の)びてゆく |
[03:02.70] |
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[03:04.06] |
降(ふ)り注(そそ)ぐ 嘆(なげ)きたちを |
[03:13.77] |
何一(なにひと)つ 掬(すく)う事(こと)できず 立(た)ちすくむ |
[03:22.16] |
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[03:22.54] |
砕(くだ)け散(ち)った世界(せかい) 静寂(しじま)に零(こぼ)れ落(お)ち |
[03:27.39] |
蒼(あお)い 炎(ほのお) 押(お)し寄(よ)せて |
[03:32.24] |
逃(のが)れられぬ悪夢(あくむ) 闇夜(やみよ)を埋(う)め尽(つ)くし |
[03:37.06] |
惑(まど)う 心(こころ) 歪(ゆが)み 乱(みだ)される |
[03:43.95] |
|
[03:44.21] |
明日(あした)を 無(な)くして 何時(いつ)まで 夢見(ゆめみ)るの |
[03:48.72] |
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[04:24.41] |
Il cielo fu avvolto da nubi oscure(空(そら)は 暗(くら)い雲(くも)に包(つつ)まれ) |
[04:29.21] |
La terra gemette in silenzio(大地(だいち)は 静(しず)かに唸(うな)りだした) |
[04:33.58] |
Ma gli uomini non si accorsero di nulla(けれど 人々(ひとびと)は何一(なにひと)つ 気付(きづ)くことなく) |
[04:33.91] |
Fu cosi che scoppiò la catastrofe(やがて 大(おお)いなる災(わざわ)いは解(と)き放(はな)たれ) |
[04:38.76] |
Gli uomini, senza neppure il tempo per pregare(祈(いの)る時間(じかん)さえも 与(あた)えられずに) |
[04:46.24] |
Le città, coperte dal velo della morte(都(みやこ)は死(し)の帳(とばり)に 包(つつ)まれた) |
[04:57.28] |
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[05:13.28] |
Replicare どうして |
[05:17.95] |
苦(くる)しみの輪廻(りんね)は 続(つづ)くの |
[05:22.74] |
Replicare どうして |
[05:27.52] |
哀(かな)しみの連鎖(れんさ)は 止(と)まらない |
[05:32.40] |
|
[05:32.56] |
滅(ほろ)びの 記憶(きおく)が 私(わたし)に 木霊(こだま)する |
[05:37.09] |
逃(に)げる事(こと)も 出来(でき)ず 今(いま) |
[05:41.94] |
哀(かな)しみに囚(とら)われ 苦(くる)しみに縛(しば)られ |
[05:46.93] |
永久(とわ)の 夜(よる)を 彷徨(さまよ)い続(つづ)けてる |
[05:51.59] |
|
[05:51.79] |
砕(くだ)け散(ち)った世界(せかい) 静寂(しじま)に零(こぼ)れ落(お)ち |
[05:56.46] |
蒼(あお)い 炎(ほのお) 押(お)し寄(よ)せて |
[06:01.33] |
逃(のが)れられぬ悪夢(あくむ) 闇夜(やみよ)を埋(う)め尽(つ)くし |
[06:06.23] |
惑(まど)う 心(こころ) 歪(ゆが)み 乱(みだ)される |
[06:13.22] |
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[06:13.41] |
狂(くる)える 時間(じかん)が 私(わたし)を 呪縛(じゅばく)し |
[06:16.61] |
壊(こわ)れて 繋(つな)がり 彼(か)の日(ひ)は 繰(く)り返(かえ)す |
[06:25.33] |
|
[06:30.59] |
終わり |