चाहे मैं रहूं जहां में, चाहे तू ना रहे तेरे-मेरे प्यार की उमर सलामत रहे चाहे ये ज़मीं, ये आसमां रहे ना रहे तेरे-मेरे प्यार की उमर सलामत रहे डर है तुझे मैं खो ना दूं मिले जो ख़ुदा तो बोल दूं मैं दो जहां का क्या करूं? तू बता ओ, तू जो मेरे पास है मुझको ना कोई प्यास है मेरी मुक़म्मल हो गयी हर दुआ चाहे मेरे जिस्म में, ये जां रहे ना रहे तेरे-मेरे प्यार की उमर सलामत रहे थे टुकड़ों में जी रहे तुम जो मिले तो जुड़ गए पंख लगा के उड़ चला मन मेरा ओ, तुझमें मैं हूँ, मुझमें तू और है साँसें रू-ब-रू कुछ भी नही अब दोनों के दरमियाँ चाहे उस चांद में, चमक रहे ना रहे तेरे-मेरे प्यार की उमर सलामत रहे चाहे मैं रहूं जहां में, चाहे तू ना रहे तेरे-मेरे प्यार की उमर सलामत रहे